26 जनवरी 2024 |
26 जनवरी, 2024. एक तारीख जो हर भारतीय के दिल में गर्व का संचार करती है. दिन है वो, जब माँ भारती ने अपने आँचल में सार्वभौमिक गणतंत्र का स्वर्णिम अध्याय लिखा था. ये गणतंत्र दिवस न सिर्फ एक राष्ट्रीय अवकाश है, बल्कि वो लौ है जो देशवासियों को एकजुट करती है, प्रेरणा देती है और ज़िम्मेदारी का बोध कराती है.
इस साल गणतंत्र दिवस और भी खास होने वाला है. भारत के 75वें गणतंत्र दिवस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों मुख्य अतिथि के रूप में भारत की पावन धरती पर पधारेंगे. ये भारत-फ्रांस के बीच 100 साल से अधिक पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करेगा.
राजपथ पर सजेगा गौरव का नजारा:
दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस के परेड का नजारा ही अलग होता है. सुबह की सुनहरी किरणों के साथ राष्ट्रपति भवन से निकलने वाला राष्ट्रपति का काफिला राष्ट्रीय ध्वज को फहराता आगे बढ़ता है. उसके पीछे सशस्त्र बलों का शानदार मार्च, देश के विभिन्न राज्यों के झांकियां, पुलिस बल का प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और हर कदम पर देशभक्ति का ज्वार -- ये सब मिलकर गणतंत्र दिवस के परेड को अविस्मरणीय बनाते हैं.
झांकियों में दिखेगा भारत का सार:
इस साल गणतंत्र दिवस की झांकियों का विषय "भारत- लोकतंत्र की मातृका" रखा गया है. हर राज्य अपनी झांकी के माध्यम से भारत के लोकतंत्र की जड़ों, इसकी विविधता, संस्कृति और विकास का सार दर्शाएगा. ये झांकियां न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों को एक दूसरे के करीब लाएंगी, बल्कि विश्व को भी भारत की लोकतांत्रिक धरोहर के बारे में बताएंगी.
हर घर में तिरंगा, हर दिल में वतन:
गणतंत्र दिवस सिर्फ राजधानी दिल्ली तक ही सीमित नहीं है. ये त्योहार हर गांव, हर शहर, हर घर तक पहुंचता है. लोग अपने घरों को तिरंगे से सजाते हैं, राष्ट्रगान गाते हैं, स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और नए भारत के निर्माण का संकल्प लेते हैं. ये सामूहिक जश्न और राष्ट्रभक्ति का भाव ही गणतंत्र दिवस को खास बनाता है.
एक नया संकल्प, एक मजबूत कदम:
गणतंत्र दिवस हमें सिर्फ जश्न मनाने के लिए नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण करने के लिए भी प्रेरित करता है. हमें सोचना चाहिए कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं? भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना, सामाजिक बुराइयों को दूर करना, पर्यावरण की रक्षा करना, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान देना -- ये सब छोटे-छोटे कदम मिलकर देश को मज़बूत बना सकते हैं.
तो आइए इस गणतंत्र दिवस पर एक नए संकल्प के साथ आगे बढ़ें. अपने देश के लिए कुछ करने का, उसे और बेहतर बनाने का संकल्प लें. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शब्दों को याद करें, "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लूंगा." हां, स्वराज्य सिर्फ एक अधिकार नहीं है, बल्कि एक ज़िम्मेदारी भी है. आइए मिलकर इस ज़िम्मेदारी को निभाएं और अपने देश को गौरव की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएं.
जय हिंद! जय गणतंत्र! जय भारत!